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Wednesday, October 22, 2008

काजोल - शाहरुख फिर एक साथ दिखेंगे

काजोल - शाहरूख की लोकप्रिय जोडी़ एक बार फिर फिल्मी पर्दे पर दिखाई देगी ।यह जोडी़ करन जौहर की नई फिल्म ”माय नेम इज खान” में एन आर आई पति - पत्नी की भूमिका में आ रही है । इस जोडी़ की आखिरी फिल्म "कभी खुशी कभी गम” थी ।जाहिर है पिछले कुछ समय से या कहें कि अजय देवगन से शादी के बाद काजोल ने या तो फिल्मों में काम किया ही नहीं और अगर किया भी तो अजय के साथ ही फिल्में कीं । जाहिर है इस जोडी़ ने जो भी फिल्में की वह बॉक्स ऑफिस पर हिट रहीं । अब माय नेम इज खान की कहानी जो भी हो लेकिन इस फिल्म की सफलता में कहीं कोई शक नहीं दिखाई देता है । क्योंकि एक ओर जहॉ निर्माता - निर्देशक के रूप में सफलता की बुलंदियों को छूने वाले व एक से एक हिट फिल्में देने वाले करन जौहेर हैं तो वहीं यह फिल्मी पर्दे की सफल जोडी़ । अब धमाल तो मचेगा ही ।

राज की गिरफ्तारी -- देर आयद , दुरुस्त आयद

राज ठाकरे की गिरफ्तारी तो बहुत पहले ही हो जानी चाहिए थी , खॆर देर आयद , दुरुस्त आयद ,गिरफ्तारी हुई तो राज ठाकरे जैसे नेता इस देश को बर्बादी की ओर ले जा रहे हैं. ऐसे नेताओं को या तो हमेशा के लिए जेल में डाल देना चाहिए या फिर इस देश से निकाल देना चाहिए. ऐसे नेताओं का मक़सद सिर्फ़ आपस में झगडे़ करवाना है और कुछ नही । इन के जैसे नेता कभी भी मुल्क मैं चैन और अमन नही चाहते, कभी जातिवाद, कभी भषवाद और ना जाने किस किस बात पर ये लोग मुल्क का चैन और अमन ख़राब करते रेहते हैं, मैं तो कहती हूँ कि राज ठाकरे और इस के जैसे और सभी नेताओं को या तो इस देश से निकाल दिया जाना चाहिए या फिर इन को राजनीति से बिल्कुल अलग कर देना चाहिए, जो मूल मैं छाई शांति और अमन नही देख सकते और आए दिन कोई ना कोई नया मुद्दा उठाते रहते हैं.राज ठाकरे तो मराठी के नाम पे तो कलंक हैं।हम सभी को कुछ सीखने के लिए येह घटना एक मौक़ा है. याद दिला दे हमारे श्री बलसाहेब ने पहले हिंदुओ की रक्षा करने की कसम खाई थी. तब कुछ साल बाद भा ज पा के साथ मिलकर चुनाव लडे़ जीत कर सरकार भी बनी पर हिंदुओ पर आतच्यार नही रुका । समस्त हिंदू जिन्होंने इनको जिताया था रोने लगे क्यूं की हिंदू की रक्षअ तो दूर उनपर कोई ध्यान नही दिया गया. अब श्री बालासाहेबजी बूढे़ हो गए है.सो अब राज साहेब की बारी थी नया मुद्दा खोज लिया. हिंदी भाषी. इसका क्या मतलाव है की राष्ट्र भाषा को राज्य में प्रयोग न किया जाए? येह एक बेवकूफ़ भारी राज नीति है हवालात की हवा तो बालसाहेब भी खा चुके है. पर दुख की बात तो यह है की छतरपति सिवाजी के प्यारे महारसतीय भाई लोग बिल्कुल हिंदुत्व को हित मे रखने की बदले ग़ैर मराठी मे बह गये है.उम्मीद करते हैं कि इस गिरफ्तारी सेराज ठाकरे व उनके समर्थकों की चूलें हिल जाएंगी और महाराष्ट्र को राज के गुंडाराज से निजात मिल पाएगी ? हम तो कहते हैं कि राज ठाकरे को इस घटना से सबक लेकर अपने में सुधार लाना चाहिए । यही नहीं राज जी को अप्ना शक्ति प्रदर्शन निरीह लोगों व छात्रों पर करने की बजाए आतंकवाद के खात्मे के लिए करना चाहिए । अन्यथा उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि देश की जनता अब उनके जुल्मों को सहन नहीं करेगी ,उनका मुँहतोड़ जवाब देगी ।

Saturday, October 4, 2008

एक खिलाडी़ एक हसीना


एक खिलाडी़ एक ह्सीना , वाह क्या बात है !

हमारे क्रिकेट के खिलाडी़ क्रिकेट पिच पर कोई कमाल कर पाएं या न कर पाएं मगर वे मॉडलिंग के अलावा अब डांस की पिच पर खूब जलवे बिखर रहे हैं । पिछले माह २६ सितम्बर से कलर्स चैनल पर
’ एक खिलाडी़ एक हसीना ’ सीरियल खूब धूम मचा रहा है । इसकी वजह है क्रिकेटरों का हसीनाओ के साथ ताल से ताल मिलाकर थिरकना । इस फील्ड में वे खूब सफल भी हो रहे हैं ।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या क्रिकेट खिलाडि़यों का यह कारनामा बधाई के योग्य है ? एक ओर सरकार इन खिलाडि़यों पर लाखों रुपया खर्च करती है मगर उसके बदले उसे सिवाय पराजय का मुंह देखने के अलावा और कुछ नहीं मिलता । आखिर एसा क्यों ? क्या इस्के जिम्मेदार हमारे ये खिलाडी़ नहीं हैं ? थोडी़ सी भी सफलता पाने पर स्वयं सरकार इन्हें रुपयों से मालामाल कर देती है फिर इन खिलाडि़यों को यह समझ क्यों नहीं आता कि वे सिर्फ और सिर्फ खेल पर ही ध्यान दें । नाम , दाम व काम में वे किसी भी स्टार से कम नहीं हैं , वे तो पूरे भारत के हीरो हैं । फिर वे क्यों खेल से मुंह मोड़ कर मॉडलिंग व फिल्मी दुनिया की चमक - दमक की तरफ आकर्षित हो जाते हैं ?
यह एक ऎसा ज्वलंत मुद्दा है कि इस तरफ सरकार व क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को ध्यान देते हुए कुछ स्ख्त नियम बनाने चाहिए । मेरे विचार से सरकार व बोर्ड को मिलकर यह पॉलिसी तय करनी चाहिए कि यदि कोई भी खिलाडी़ एक खेल जीतकर आता है तो उसका स्वागत सत्कार करके ताड़ के पेड़ पर नहीं चढा़ना चाहिए । खिलाडि़यों की सुख सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाए मगर उन पर इनाम के तौर पर रुपयों की बरसात न की जाए बल्कि उन्हें खेल की बारीकियों से ज्यादा से ज्यादा परिचित कराने की व्यवस्था की जाए । उन्हें ऎसे साधन मुहैया कराए जाएं जिनसे खेल की रणनीति को और पुख्ता बनाया जा सके । दूसरे खिलाडि़यों [किसी भी खेल से सम्बंधित हों ] के मॉडलिंग , टी वी सीरियल्स व फिल्मों में काम करने को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए । यह तय किया जाए कि जो भी खिलाडी़ इस नियम का पालन नहीं करेगा उसे उसके खेल से निकाल दिया जायेगा । यह तय है कि कोई भी व्यक्ति दो या तीन नावों मे सवार होकर सफर करनेब का प्रयास करेगा वह कभी भी अपनी मंजिल को नहीं प सकेगा । ठीक यही बात हमारे खिलाडि़यों पर भी लागू होती है ।
हालांकि किसी की लाइफ में दखलंदाजी करने का हमारा कोई हक नहीं बनता लेकिन जब बात हमारे देश की आन - बान व शान की हो तो चूप भी नहीं रहा जा सकता । अब चूंकि खिलाडी़ हमारे देश की धरोहर हैं और उनके खेल पर देश की शान निर्भर करती है तो उन्की कमियों को सुधारना देश के हर नागरिक का कर्तव्य बन जाता है ।