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Thursday, July 31, 2008

........मार सके ना कोय

इस बात के एक बार फिर पुख्ता सबूत मिल गए कि "जाको राखे साईंया , मार सके ना कोय"।
इस कहावत को सच का जामा पहनाया है २३ वर्षीय सुप्रतिम दत्ता ने । पिछ्ली १२ जुलाई को सुप्रतिम को मौत ने लगभग पूरी तरह अपनी जकड़ में ले ही लिया था , लेकिन यह कुदरत का करिश्मा कहिए या फिर ऊपर वाले की मर्जी और उस पर सुप्रतिम की हिम्मत तथा उसकी जीने की प्रबल चाह, कारण जो भी रहा हो किन्तु यह अटल सत्य है कि सुप्रतिम मौत के मुंह से बचकर बाहर आ गया है । सफल ऑपरेशन के बाद वह सही सलामत घर आ गया है ।
हालंकि डॉक्टरों ने उसे फिलहाल छह माह तक परी एहतियात बरतने की हिदायत दी है । ईश्वर से हमारी यही कामना है कि वह सुप्रतिम की जीवन रेखा खूब लबी करे और भविष्य में उसे किन्हीं तकलीफों का सामना न करना पडे़ ।
शीघ्रताशीघ्र स्वास्थ्यलाभ व दीर्घायु की कामनाएं ...